दुर्गा का पति काल ब्रह्म है

श्री देवी महापुराण के तीसरे स्कंद में अध्याय 5 के श्लोक 12 में स्पष्ट है कि दुर्गा अपने पति काल ब्रह्म के साथ रमण करती है।




काल और दुर्गा के संयोग से होती है जीवों की उत्पत्ति

गीता अध्याय 7 श्लोक 4 से 6 में स्पष्ट किया है कि मेरी आठ प्रकार की माया जो आठ भाग में विभाजित है। पाँच तत्व तथा तीन (मन, बुद्धि, अहंकार) ये आठ भाग हैं। यह तो जड़ प्रकृति है। सर्व प्राणियों को उत्पन्न करने में सहयोगी है। जैसे मन के कारण प्राणी नाना इच्छाएं करता है। इच्छा ही जन्म का कारण है। पाँच तत्वों से स्थूल शरीर बनता है तथा मन, बुद्धि, अहंकार के सहयोग से सूक्ष्म शरीर बना है तथा इससे दूसरी चेतन प्रकृति (दुर्गा)है। यही दुर्गा (प्रकृति) ही अन्य तीन रूप महालक्ष्मी –  महासावित्री – महागौरी आदि बनाकर काल (ब्रह्म) के साथ पति-पत्नी व्यवहार से तीनों पुत्रों रजगुण युक्त श्री ब्रह्मा जी, सतगुण युक्त श्री विष्णु जी, तमगुण युक्त श्री शिव जी को उत्पन्न करती है। फिर भूल – भूलईयाँ करके तीन अन्य स्त्री रूप सावित्री, लक्ष्मी तथा गौरी बनाकर तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी) से विवाह करके काल के लिए जीव उत्पन्न करती है। जो चेतन प्रकृति (शेराँवाली) है। इसके सहयोग से काल सर्व प्राणियों की उत्पत्ति करता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Corruption : कौन करेगा भारत को भ्रष्टाचार (Corruption Free India) मुक्त ?

Radha Soami : Shri Shivdayal ji, founder of Radha Soami Satsang Beas (RSSB) , Who is God

Christmas 2019 : आइए जानते हैं Christmas Day क्यों मनाते है, क्रिसमस डे मनाने की सच्चाई क्या है और भी बहुत कुछ