Radha Soami : Shri Shivdayal ji, founder of Radha Soami Satsang Beas (RSSB) , Who is God

आज हम  Radha Soami  पंथ पर प्रकाश डालते हैं।यह पंथ लगभग 150 वर्ष पुराना हो चुका जो भारत में लगातार चल रहा इसकी आज अनेको ब्रांच हो चुकी हैं भारत में।


Radha Soami
Radha Soami

Radha Soami  पंथ की शुरुआत

राधास्वामी पंथ , शहर आगरा के पन्नी गली के निवासी Shri Shivdayal से चला । Radha Soami   पंथ के प्रवर्तक श्री शिवदयाल जी का कोई Guru नहीं था इसका प्रमाण "जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज" पुस्तक के पृष्ठ 28 पर मिलता है।
RSSB

Shri Shivdayal जी ने 17 वर्ष हठ योग अर्थात तपस्या की थी एक कोठे में बैठकर (जो किसी भी मोक्ष प्राप्त संत की साधना से मेल नहीं खाती और गीता में हठ योग करने वाले साधकों को नरक में डालने के लिए कहा गया है)। फिर सेठ शिवदयाल जी ने 1861 में सत्संग करना प्रारंभ किया । सन 1856 में बाबा जयमल सिंह जी ने Shri Shivdayal जी से नाम प्राप्त किया। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि जब जयमल सिंह ने नाम लिया तब शिवदयाल जी अधूरे गुरु थे।
Kabir परमेश्वर ने कहा है :-
झूठे गुरुवा काल के दूत हैं, देवे नरक धकेल।
काच्ची सरसों पेल कर, खल हुआ न तेल।
Shri Shivdayal जी की मृत्यु 60 वर्ष की उम्र में सन 1878 को हुई जबकि जयमल सिंह ने व्यास नदी के किनारे सन 1889 में डेरे की स्थापना की, शिव दयाल जी की मृत्यु के 11वर्ष बाद। इससे यह पता चलता है कि जयमल सिंह जी को शिष्य बनाने का अधिकार श्री शिवदयाल जी ने नहीं दिया वे मनमुखी Guru बन गए।
यह Radha Soami  पंथ बिना Guru का पंथ प्रारंभ हुआ क्योंकि शिवदयाल जी का कोई गुरु नहीं उनकी जीवनी में लिखा है। Shri Shivdayal जी के मुख्य 3 शिष्य थे :-
1. श्री जयमल सिंह (डेरा व्यास)
2. जयगुरुदेव पंथ (मथुरा में)
3. श्री तारा चंद (दिनोद जिला भिवानी)
इन तीनों ने बिना किसी आदेश के panth स्थापित कर लिए। इस तरह Radha Soami  की तीन ब्रांच हो गई।
डेरा व्यास, Shri Shivdayal जी के शिष्य जयमल सिंह जी ने शुरू किया। जयमल सिंह जी के शिष्य सावन सिंह महाराज और सावन सिंह महाराज के तीन शिष्य हुए बहादुर जगत सिंह, विलोचिस्तानी शाह मस्ताना उर्फ खेमामल जी, कृपाल सिंह फिर यह तीन ब्रांचों में बंट गई।
1. डेरा व्यास
2. डेरा सच्चा सौदा (सिरसा)
3. सावन कृपाल मिशन
जबकि इन तीनो में सावन सिंह जी का उत्तराधिकारी केवल एक बहादुर जगत सिंह जी थे । जबकि खेमामल जी ने सिरसा में तथा कृपाल सिंह जी ने दिल्ली में डेरा बिना Guru के आदेश के खोल लिया । इस तरह Radha Soami  पंथ बंटता चला गया । आज भारत से लेकर विश्व मे इसकी सैकड़ो ब्रांच हो चुकी हैं।



Radha Soami  पंथ का अज्ञान

श्री सावन सिंह जोकि जयमल सिंह के सीधे शिष्य थे जो Radha Soami पंथ के दूसरे गद्दी नशीन थे उन्होंने "सन्तमत प्रकाश(भाग 4)" पुस्तक के पृष्ठ 15 में फरमाया है कि सतलोक ,सतनाम है। सारशब्द, सारनाम भी सतनाम हैं तथा सतपुरुष भी सतनाम है। फिर पृष्ठ 240 में फरमाया की सतनाम हमारे अंदर है ।
इसी तरह इनके गुरु साहिबो का ज्ञान था कभी सतनाम को स्थान बताते हैं, कभी सारनाम ,सतपुरुष ही सतनाम हैं बताते हैं। श्री सावन सिंह जी ने अपने अज्ञान को पुष्ट करने के लिए परमेश्वर Kabir जी तथा Guru Nanak dev जी की वाणियो का प्रमाण लिया है जबकि उन वाणियो का उन्होंने गलत अर्थ किया है।
"सन्तमत प्रकाश (भाग 4)" के पृष्ठ 261 में नानक जी की वाणी लिखी है -
सोई गुरु पूरा कहावै, जो दो अख्कर का भेद बतावे।
एक छुड़ावै एक लखावै, तो प्राणी निज घर को जावे।
जै तू पढ़या पंडित बिन, दोय अख्कर बिन दोय नावां।
प्रणवत नानक एक लंघाए, जे के सच्च समावां।
जिसका अर्थ सावन सिंह जी ने गलत किया हैसावन सिंह जी कहते हैं वे दो अख्कर पारब्रह्म में आगे जाकर मिलेंगे। Radha Soami पंथ की ब्रांचों में पांच नाम (ररंकार, ओंकार, ज्योति निरंजन, सोहं, सतनाम) तथा अकाल मूर्त, सतपुरुष, शब्द स्वरूपी राम व राधास्वामी नाम दिए जाते हैं जिसका किसी शास्त्र या मोक्ष प्राप्त सन्त की वाणी में नहीं मिलता। जो Radha Soami पंथ में पांच नाम या तीन नाम दिए जाते हैं वे काल के जाप हैं घट रामायण में हाथरस तुलसीदास ने लिखा है "पांचों नाम काल के जानो" । पूरा Radha Soami  पंथ सतपुरुष अर्थात परमात्मा को निराकार मानता है जबकि वेद परमात्मा को मनुष्य सदृश्य सिद्ध करते है।
Radha Soami  पंथ के प्रवर्तक के करते थे नशा
पुस्तक "जीवन चरित्र स्वामीजी महाराज" के पृष्ठ 78 में लिखा है Shri Shivdayal ji founder of Radha Soami Panth कथा से फुर्सत पाकर हुक्का पीते थे। जब panth का प्रवर्तक ही नशा करते थे तो उनके शिष्यों के नशा कैसे छूट सकता है।
Kabir परमेश्वर ने कहा है-
भांग तम्बाकू छुतरा, आफू और शराब।
कहे कबीर कैसे होवे बन्दगी, ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा कबहु न उतरे पार।
यहीं कारण रहा कि Radha Soami panth के प्रवर्तक भूत बने और अपनी शिष्या बुक्की पर आकर बोलने लगे इसका प्रमाण पुस्तक "जीवन चरित्र स्वामीजी महाराज" के पृष्ठ 80 पर मिलता है।
Radha Soami panth में ज्ञान नहीं है अज्ञान से भरा पड़ा है यह पंथ और इसकी जो शाखाएं है उन में भी यही कोरा अज्ञान है ।


👉अब हम अपने गीता, वेद, पुराण में देखते हैं Who is God ? Who is puran saint?
Who is god


यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15 ,अध्याय 5 मंत्र 1, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-3, सूक्त 86 मंत्र 26,27 ,सूक्त 96 मंत्र 16-20 आदि मंत्रो में लिखा है कि Kabir dev मनुष्य सदृश्य , सशरीर है ,राजा के समान सतलोक के तीसरे पृष्ठ पर विराजमान हैं दर्शनीय है। इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है कि who is god ? Kabir is god.

Who is saint
Who is Saint

गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4,16,17 में लिखा है कि जो संत उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग (जड़, तना, शाखा, पत्ते, डाली आदि) को वेदों अनुसार बता देगा कि ये कौन है वह तत्वदर्शी / puran saint है।
गुरुग्रंथ साहिब में लिखा है-
सोई गुरु पूरा कहावे जो दो अख्कर का भेद बतावै।
एक छुड़ावै एक लखावै, तो प्राणी निज घर को जावे।
दो अख्कर का नाम सतनाम है जिसे नानक जी ने जाप किया जिसका प्रमाण पुस्तक "जन्म साखी भाई वाले वाली" में मिलता है और आज वर्तमान में केवल Saint Rampal ji यह नाम देते है अपने शिष्यों को जाप करने के लिए।
Kabir is God की वाणी है -
सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बेन विनोद।
चार वेद छः शास्त्र ,वो कहे अठारह बोध।
Saint Rampal ji प्रारम्भ से ही वेद, गीता,पुराण, कुरान, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब आदि सभी धर्म शास्त्रों से ज्ञान दे रहे हैं। आज पूरी पृथ्वी में Saint Rampal ji puran saint हैं।

टिप्पणियाँ

  1. Ohh। यह सच्चाई है इस पंथ की। इस पंथ में फिर सब अपना जीवन बर्बाद कर रहे है जी।

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  2. वाकई में संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान निर्मल है। बहुत ही अनमोल ज्ञान है

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  3. पूरा अवश्य पढ़ें प्रमाण सहित दिया गया है राधास्वामी पंथ की जानकारी

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  4. संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाण सहित ज्ञान बताते हैं
    अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी 7:30-8:30pm

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