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दहेज मुक्त भारत

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भारत मे लगातार दहेज की बड़ी बड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं जिससे बेटियों को केवल दहेज के लिए ससुराल पक्ष के लोग प्रताड़ित करते हैं इससे बेटियां इन सभी समस्याओं से दूर होने के लिए आत्महत्या कर लेती हैं जिससे दोनों परिवार उजड़ जाते हैं। www.jagatgururampalji.org दहेज एक कुप्रथा है इससे भारत मे प्रत्येक साल हजारों परिवार उजड़ जाते हैं।हजारों बेटियां आत्महत्या कर लेती हैं। भारत मे दहेज प्रथा रोकने के लिए कानून भी बनाया गया है किंतु इस कानून का पालन नहीं किया जा रहा है।जिससे बेटियां सुरक्षित नहीं है और सरकार "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"का नारा देती हैं किंतु यह नारा विफल साबित हो रहा है। एक संत जोकि हरियाणा से हैं उनका नाम "Sant Rampal Ji" है उन्होंने ने अपने ज्ञान आधार पर लोगों में ज्ञान की अलख जगाई जिससे लाखों लोग दहेज मुक्त शादी कर रहे हैं ।जिससे बेटियों को सम्मान मिल रहा है ,बेटियां आत्महत्या नहीं कर रही हैं और दहेज रूपी राक्षस समाप्त हो रहा है। संत रामपाल जी महाराज ने एक विश्व कल्याण मिशन चला रहे हैं जिससे लोग जुड़ रहें हैं और दहेज मुक्त शादी करने के लिए agree हो

भारत बनेगा विश्व गुरु

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नास्त्रेदमस विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस के अनुसार उस महान पुरुष का जन्म भारत देश की पवित्र भूमि पर हुआ वह महान संत के सानिध्य में सभी देश एक होंगे एक भाषा होगी एक झंडा होगा एवं विश्व में शांति स्थापित होगी। नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि विश्व विजेता संत सभी को समान कायदा, नियम, अनुसाशन पालन करवा कर सत्य पथ पर लगाकर नया ज्ञान अविष्कार करेगा। और वह संत संतरामपालजी ही है www.jagatgururampalji.org फ्लोरेंस फ्लोरेंस के अनुसार उस संत ने भारत में जन्म ले लिया है जिसका पहले लोग विरोध करेंगे फिर उसका समर्थन बड़े जोर से करेंगे। अमेरिका की महान भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की भविष्यवाणी "कि लोग उस संत के शासन काल मे  परस्पर सौहार्द्रपूर्वक रह सकेंगे..उनमें एक ऐसी भावना पनपेगी,जो एक वृहत्तर परिवार को जन्म देगी जिसमें रहते हुए लोग “आत्मवत् सर्वभूतेषु” एवं “वसुधैव कुटुँबकम्” का साकार होते देख सकेंगें ।

दुर्गा का पति काल ब्रह्म है

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श्री देवी महापुराण के तीसरे स्कंद में अध्याय 5 के श्लोक 12 में स्पष्ट है कि दुर्गा अपने पति काल ब्रह्म के साथ रमण करती है। काल और दुर्गा के संयोग से होती है जीवों की उत्पत्ति गीता अध्याय 7 श्लोक 4 से 6 में स्पष्ट किया है कि मेरी आठ प्रकार की माया जो आठ भाग में विभाजित है। पाँच तत्व तथा तीन (मन, बुद्धि, अहंकार) ये आठ भाग हैं। यह तो जड़ प्रकृति है। सर्व प्राणियों को उत्पन्न करने में सहयोगी है। जैसे मन के कारण प्राणी नाना इच्छाएं करता है। इच्छा ही जन्म का कारण है। पाँच तत्वों से स्थूल शरीर बनता है तथा मन, बुद्धि, अहंकार के सहयोग से सूक्ष्म शरीर बना है तथा इससे दूसरी चेतन प्रकृति (दुर्गा)है। यही दुर्गा (प्रकृति) ही अन्य तीन रूप महालक्ष्मी –  महासावित्री – महागौरी आदि बनाकर काल (ब्रह्म) के साथ पति-पत्नी व्यवहार से तीनों पुत्रों रजगुण युक्त श्री ब्रह्मा जी, सतगुण युक्त श्री विष्णु जी, तमगुण युक्त श्री शिव जी को उत्पन्न करती है। फिर भूल – भूलईयाँ करके तीन अन्य स्त्री रूप सावित्री, लक्ष्मी तथा गौरी बनाकर तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी) से विवाह करके काल के